इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है....


"सीने में जलन आंखों में तूफ़ान सा क्यों है इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है"
मशहूर शायर शहरयार की यह गजल आज के परिदृश्य में बिल्कुल फिट बैठती है

दरअसल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डबल मर्डर करने वाली मासूम नाबालिग से लेकर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का कारण इन लोगों का अवसाद ग्रस्त माना जा रहा है। इसके पूर्व बनारस में एक व्यापारी द्वारा व्यापार में घाटा लगने पर पहले बीवी और फिर बच्चों की हत्या करने के बाद खुद आत्महत्या महज इसलिए की क्योंकि करोना काल में आर्थिक समस्या से परिवार टूट गया था। यह चंद घटनाएं हैं जो अंदर से झकझोर रही हैं।

करोना काल के चलते जिंदगी में ठहराव और बदलाव ने हर शख्स को बेचैन कर दिया है, जो कहीं न कहीं अवसाद का शिकार बना रहा है। इस कोरोना काल में अवसाद के मामले में वृद्धि हो रही है ऐसे में सरकार और स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना है
 

बावजूद इसके जानकारों का कहना है कि यह वक्त मुश्किल का है। धैर्य से काटना होगा। इसे लेकर ज्यादा चिंता आपके और परिवार के लिए खतरे की घंटी हो सकता है। मनोचिकित्सकों की माने तो आपाधापी के युग में आगे बढ़ने की होड़ में कोरोना ने एकाएक जिंदगी में ब्रेक लगा दिया है, जिससे अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस नियति से उबरने की कोशिश करनी होगी, अपने अंदर सकारात्मक सोच को गति देना होगा, नकारात्मक पहलुओं से दूर रहना होगा, तभी आप खुद को सुरक्षित रह पाएंगे। निरंतर लंबे समय तक उदासी थकान सोने और खाने की आदतों में बदलाव नकारात्मक विचारों में वृद्धि, जिन कार्यों को करने में मन खुश होता था, उस में मन न लगना, जीवन शैली को निरर्थक समझना, जैसे लक्षण जब दिखाई दें तो समझिए अवसाद ने आप को घेरना शुरू कर दिया है। और अगर ऐसे लक्षण एक पखवारे से अधिक समय तक महसूस हो रहे हों तो तत्काल चिकित्सक से राय लेना चाहिए और ऐसे मामलों में खुलकर बातचीत करना चाहिए।


कोरोना में वृद्धि के चलते लॉकडाउन ने आपस में मेलजोल पर भी पाबंदी लगा दी है जिसके चलते अवसाद चिड़चिड़ापन यूं ही पैदा नहीं हुआ। करोना काल से लोगों के बीच रोजी रोजगार एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। निचले पायदान से लेकर मध्यम वर्गीय परिवार टूट की कगार पर खड़े हैं, ऐसे में परिवार के साथ एक दूसरे को बातचीत करते रहना चाहिए और बेवजह टोका-टाकी से बचाव करना चाहिए। अपने करीबियों से बात का सिलसिला बनाए रखना चाहिए। इस मुश्किल वक्त में अपने को अकेला न रखें, क्योंकि इस शहर में हर शख्स परेशान सा है.... बस समस्या से लड़ना ही समाधान है।

कोरोनावायरस संक्रमण एक ओर तेजी से पैर पसार रहा है तो दूसरी ओर जनता मैं बेफिक्री की रफ्तार भी बढ़ वहीं सरकार ने जनता को अब राम भरोसे छोड़ दिया है अनलॉक की प्रक्रिया तेज कर दी है शनिवार को होने वाला लाख डाउन समाप्त कर कड़ा कदम उठाया है यानी वीकेंड का पूर्ण लॉकडाउन खत्म कर सरकार को जीडीपी की चिंता सता रही है सरकार की चिंता अब अर्थव्यवस्था पर जा टिकी है आम जनता का उससे कोई लेना-देना नहीं रहा सब कुछ खुल गया जनता भी खुलकर बाहर आ रही है
 

मास्क और फिजिकल डिस्टेंस  के नियम तार-तार हो रहे हैं जिसका परिणाम यह कि कोरोना वायरस जंगल में आग की तरह फैल रहा है अब तो गांव की पगडंडियों से लेकर शहर की गलियों तक अपना पैर पसार चुका है जिसे लेकर जागरूक वर्ग तनाव में है  कोरोनावायरस महामारी थमने का नाम नहीं ले रही इस का ग्राफ लगातार ऊपर ही जा रहा है कुल मरीजों की संख्या को लेकर भले ही भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है लेकिन मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज हो रही है सितंबर के पहले सप्ताह के आंकड़े चौंकाने वाले हैं 

1 दिन में 83000 से अधिक के मामले आए प्रति 1.09 सेकंड पर करुणा का नया केस आ रहा है जब की मृत्यु दर प्रति सेकंड 96.21 सेकंड पर एक व्यक्ति ही है हालत यह है कि कोरोनावायरस के मरीज को बेड मिलना मुश्किल हो रहा है मरीजों के आंकड़ों ने होश उड़ा रखें है देश में अब तक 67 हजार काल के गाल पर समा चुके हैं एक महत्त्व पूर्ण तथ्य भी है की करोना कॉल के चलते जे ई ई/ नीट परीक्षा पर बवाल भले ही चाहे जितना हुआ हो सरकार ने परीक्षा करा कर अपनी जिद पूरी कर रही है छात्रों को भरोसा था कि लोकप्रिय प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में छात्रों के इस मर्म को समझेंगे लेकिन छात्रों को निराशा हाथ लगी और यही कारण था कि लोकप्रिय प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम को छात्रों ने एक सिरे से नकार दिया पूरे कार्यक्रम में आत्मनिर्भर भारत पर जोर ने परीक्षा देने वाले छात्रों को जझकोर कर रख दिया छात्रों ने अपने आप को चक्रव्यूह में फंसा देख  अवसाद की स्थिति में भविष्य बनाने के  सपने को  दाव में लगा दीया जिसे देखकर लोगों में अजीब किस्म का अवसाद पैदा हो चुका है अबकी बार किसका नंबर राम जाने।

अरुण निगम 

Comments

  1. अरुण निगम जी का बेहतरीन लेख

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  2. Real Picturization of now a these days scenario.... Commendable Article.... 🙏🙏

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