हमीरपुर में यमुना और बेतवा नदी का बढ़ा जलस्तर, 187 गांवों में बाढ़ का खतरा

हमीरपुर, जनपद में यमुना और बेतवा समेत आठ नदियों की बाढ़ से 187 गांव में तबाही होती है। इन गांवों के 336299 आबादी को बाढ़ से बचाने के लिये अभी तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाये गये हैं। जिससे बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोग बाढ़ के खतरे से कांप उठते हैं। जनपद में सर्वाधिक 84 गांव ऐसे हैं, जहां यमुना नदी के उफनाने से भारी तबाही मचती है। हालांकि प्रशासन बाढ़ की आशंका को लेकर फौरी तौर पर तैयारी कर चुका है। 


जनपद के हमीरपुर तहसील क्षेत्र में बेतवा नदी की बाढ़ से 59 गांव प्रभावित होते हैं। वहीं मौदहा क्षेत्र में 3, सरीला क्षेत्र में 24 गांव बाढ़ के खतरे के मुहाने पर हैं। अकेले बेतवा नदी की बाढ़ से ही कुल 86 गांवों के 152810 लोग प्रभावित होते हैं। यमुना नदी से हमीरपुर तहसील क्षेत्र में 20 गांव बाढ़ की जद में हैं। वहीं चन्द्रावल नदी से हमीरपुर तहसील क्षेत्र में 5, मौदहा क्षेत्र में 18 गांव प्रभावित होते हैं। 


इसी तरह से केन नदी के उफनाने से मौदहा तहसील क्षेत्र में 6 गांव बाढ़ के मुहाने पर है। जिले में बहने वाली धसान नदी भी बाढ़ के समय राठ क्षेत्र के 11 व सरीला क्षेत्र के एक गांव को प्रभावित करती है। जबकि विरमा नदी की बाढ़ से मौदहा तहसील क्षेत्र के 9, राठ क्षेत्र के 9 व सरीला क्षेत्र में 9 गांव प्रभावित होते हैं। श्याम नदी भी बाढ़ के दौरान उफनाती है तो मौदहा क्षेत्र के 7 गांवों को गिरफ्त में ले लेती है। वहीं सीहो नाला के उफनाने मौदहा तहसील क्षेत्र के 6 गांव प्रभावित होते हैं।


मौदहा बांध निर्माण खण्ड की तैयार बाढ़ प्रबंधन योजना में ही हमीरपुर के 84, मौदहा में 49, राठ क्षेत्र में 20 तथा सरीला क्षेत्र में 34 गांवों के बाढ़ से प्रभावित होने का उल्लेख है। पूरे जिले में 187 गांव यमुना, बेतवा, केन और अन्य सभी स्थानीय नदियों की बाढ़ की जद में हैं। जहां 336299 लोगों को भारी दिक्कतें उठानी पड़ती है।  


मौदहा बांध निर्माण खण्ड के अधिशाषी अभियंता एके निरंजन ने बताया कि बाढ़ प्रबंधन योजना में इन गांवों को शामिल किया गया है क्योंकि बाढ़ के मौसम में ये गांव कहीं न कहीं प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि अभी बाढ़ का खतरा नहीं है लेकिन बाढ़ से निपटने के लिये तैयारियां पूरी है।


बता दे कि यमुना और बेतवा नदियों के बीच हमीरपुर शहर बसा है। बाढ़ के समय दोनों नदियों के उफनाने से शहर के निचले इलाके में भारी तबाही होती है। वहीं तटवर्ती इलाकों के दर्जनों गांव भी बाढ़ से प्रभावित होते है। पिछले साल यमुना और बेतवा नदियों के उफनाने से सैकड़ों मकान पानी में ढह गये थे जबकि हजारों एकड़ में बोयी गयी फसलें भी चौपट हो गयी थी। शहर के खालेपुरा, जमुना घाट तथा मेरापुर और आसपास के कई इलाके बाढ़ के पानी से जलमग्न हो गये थे।


1.86 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से मंडराया बाढ़ का खतरा 

माताटीला बांध से 1.86 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से यहां बेतवा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा है। वहीं यमुना नदी के जलस्तर में भी वृद्धि होने लगी है। यदि इसी तरह से लगातार बांधों से पानी डिस्चार्ज किया जाता रहा तो नदियां उफनाकर तबाही मचा सकती है। मौदहा बांध निर्माण खंड के अधिशाषी अभियंता एके निरंजन ने शुक्रवार को बताया कि माताटीला बांध से पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है लेकिन अब इसका यहां अभी कोई असर नहीं पड़ेगा। 


शहर को बाढ़ से महफूज रखने को नदियों के तटबंध के कार्य पूरे

मौदहा बांध निर्माण खंड के अधिशाषी अभियंता एके निरंजन ने बताया कि शहर को बाढ़ से सुरक्षित रखने के लिये यमुना और बेतवा नदियों के तटबंधों में अधूरे पिचिंग के कार्य पूरे कराये गये हैं। कल्पवृक्ष से पतालेश्वर मंदिर तक तटबंध को ऊंचा कर बोल्डर से पिचिंग के कार्य अंतिम दौर में है। इससे बाढ़ के पानी से अब कोई कटान नहीं होगी। बेतवा नदी के अधूरे तटबंध को भी तकनीकी दृष्टि से निर्माण कार्य कराकर सुरक्षा के सभी इंतजाम करा लिये गये हैं। 


बाढ़ से बचाव के लिये विभाग ने की 179 नावों की व्यवस्था

मौदहा बांध निर्माण खंड ने बाढ़ से बचाव के लिये इस बार 179 नावों की व्यवस्था की है। हमीरपुर तहसील क्षेत्र में 134, मौदहा क्षेत्र में 8, राठ तहसील क्षेत्र में 22 व सरीला तहसील क्षेत्र में 6 नावों का इंतजाम किया गया है। ये सभी नावें व्यक्तिगत तौर पर बाढ़ से प्रभावित इलाकों में लगायी जायेगी। यहां शहर में दस सरकारी नावें दी जो निष्प्रयोज्य की जा चुकी है। वहीं बाढ़ से निपटने को बालू से भरी 1500 बोरियां व 6 पंपिंग सेट की व्यवस्था की गई है।

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