यहां आल्हा ऊदल ने की थी लालबाग का राजा गणेश जी की पूजा

भगवान श्री गणेश के कई प्राचीन मंदिर हैं, जहां की अलग-अलग मान्यताएं हैं, बुन्देलखण्ड के सागर में राहतगढ़ के मंशापूर्ण गणेश सबसे अलग हैं। यहां पिता शिव के सामने खड़े होकर पुत्र गणेश उन्हें निहारते नजर आते हैं।

करीब 8 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है। किंवदंतियों के अनुसार यहां आल्हा ऊदल ने गणेश पूजन किया था।इसीलिए यहां इसीलिए यहां गणेश चतुर्थी के दिन श्रद्धालुओं की भी उमडती है।


राहतगढ़ जलप्रपात क्षेत्र में सागौन के हरेभरे जंगलों के बीच विराजमान मंशापूर्ण गणेश जी के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं को अपार खुशी एवं मन को शांति मिलती है। मान्यता है कि जो भी भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर आता है, वह पूर्ण होती है। इस प्राचीन गणेश मंदिर में पिता-पुत्र शिव व गणेश एक साथ आमने सामने हैं।

विशाल शिवलिंग के सामने गणेश जी खड़े होकर उन्हें निहार रहे हैं। 8 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा के ठीक सामने करीब 4 फीट ऊंचा शिवलिंग है, जिस पर भगवान शिव की मूर्ति एवं कई रुद्राक्ष की आकृति समाहित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले के प्राचीन मंदिरों में मंशापूर्ण गणेश प्रतिमा सागर जिले की सबसे बड़ी एवं प्राचीन मूर्ति है।


मंशापूर्ण श्री गणेश का यह मंदिर लालबाग गांव में स्थित है। गांव के 92 वर्षीय पन्नालाल यादव ने बताया कि बुंदेलखंड आल्हा ऊदल का क्षेत्र रहा है, पुरानी किवंदती के अनुसार कहा जाता है कि आल्हा ऊदल ने यहां भगवान गणेश का पूजन किया था। लालबाग गांव होने से भगवान गणेश को लालबाग का राजा भी कहा जाता है।

श्री यादव के मुताबिक उनके पूर्वज कहा करते थे कि यहां पहले पाटन गांव बसा था, यहां हीरा जवाहरात की दुकानें लगती थीं। मंदिर के एकांत एवं शांत क्षेत्र में होने से रविवार एवं बुधवार को राहतगढ़ एवं आसपास क्षेत्र के श्रद्धालुओं का आना जाना होता है।

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