जो हकीकत नेताजी के जन्मदिन की है , वो हकीकत देश में नेतृत्व की है

@Saurabh Dwivedi 
( समाचार विश्लेषक )

नेता आखिर नेता होता है। वह हमेशा युवा रहता है। पचास साल का युवा नेता , वैसे पैंतालीस के बाद बुजुर्ग बनने की उम्र शुरू होती है लेकिन भारत में सत्तर वर्षीय नेता भी विचारों से युवा नेता हो जाते हैं। 

इन्हें युवा बनाता कौन है ? युवा बनाने वाली एक कैप्सूल आती है। वो कैप्सूल आजकल बेरोजगार युवाओं के पास है। ऐसे युवा नेताजी के समर्थक होते हैं। एक से बढ़कर एक ऊर्जावान युवा , जो चिघ्घाड़ दे तो हाथी जंगल मे दुबक जाए और दहाड़ दे तो शेर हमेशा गुफा मे रहेगा। ऐसे युवाओं के पास एंड्रायड मोबाइल रहता है , जो सेल्फी विद फलाने - ढिमकाने का ट्रेलर सोशल मीडिया पर जारी करते रहते हैं और प्रोड्यूसर नेता जी होते हैं। 

एक जनपद के नेताजी का जन्मदिन था। वो पैंतीस साल का युवा नेता था। एक ऐसा नेता , जिसे विचारों से युवा लेकिन उम्र से पैंसठ प्लस के नेता जी ने वरदहस्त कर पद दे दिया। वो युवाओं के मोर्चे का अध्यक्ष हो जाता है। 

हाँ राजनीतिक दलों ने मोर्चा - वोर्चा खूब खोल रखे हैं। जैसे पेड़ मे शाखाए होती हैं वैसे ही अपने - आपको हराभरा सदाबहारी रखने के लिए एक से बढ़कर एक भुजाएं खोल रखी हैं , जिन भुजाओं का अध्यक्ष - उपाध्यक्ष नामित कर दिया जाता है। ऐसे ही एक अनुभवी - ईमानदार विचारों से युवा पर उम्र से बुड्ढे नेताजी ने जातीय समीकरण को साधते हुए महज उम्र से एक युवा को अध्यक्ष बना दिया। अर्थात एक ऐसा पुतला जो युवा नजर आता है। 

वो युवा ना कुछ बोल पाता है , ना अपनी बात रख पाता है। संगठन की हालत दाल सी पतली देखकर तमाम ठीक-ठाक युवा खासे नाराज और सबसे बड़ी नाराजगी इस बात की बाबा ने हमें नहीं बनाया , हाँ अपने सामने तो बाबा ही कहते हैं पर दुनिया के सामने कर्मठ - ईमानदार और जुझारू आदि पुकार - पुकार कर नेताजी की उम्दा छवि मुफ्त मे बनाए रहते हैं। उनको लगता है कि अगर बाहर कहीं बाबा कह दिया या फिर हकीकत बताकर नाराजगी जाहिर कर दी तो उनकी बची-खुची राजनीति भी चौपट हो जाएगी ! ऐसे युवा नेतृत्वकर्ता होंगे ? 

बाबाजी की कृपा प्राप्त युवा नेता का जन्मदिन आया। जन्मदिन का चमत्कार दिखने लगा। एक युवा नेता की ताकत दिखने लगी , वो अपने जन्मदिन पर युवाओं का प्रेरणास्रोत हो गया। जिसने कभी एक प्रेरणात्मक वाक्य नहीं लिखा वो एकाएक बादलों की तरह छा गया कि बस अभी बारिश होने वाली है ! जो उसकी निंदा करते थे , वही जन्मदिन की बधाई देते हुए कर्मठ , जुझारू और मिलनसार व्यक्तित्व का धनी लिख रहे थे ! 

नेताजी के जन्मदिन के दिन स्वामी विवेकानंद का व्यक्तित्व धूमिल पड़ गया। चूंकि युवा नेता सनातन के रक्षक हैं और विद्वान हैं। इस तरह से जनाधार शून्य बाबा कृपा प्राप्त युवा नेता जन्मदिन के दिन का ईमानदार वर्चस्वशाली नेता वर्चुअल दुनिया में कहलाता है , अब जमीनी हकीकत मन की जमीन पर सभी जानते हैं। 

ऐसे ही एक बुजुर्ग नेताजी का जन्मदिन आया। सोशल मीडिया के दौर मे नेताजी की धमनियों में अठारह साल वाला रक्त संचार होने लगा। अरे , चूंकि उन्होंने देखा कि युवावस्था बीत जाने के बाद आज बुढ़ापे में प्रवेश करने के समय मुझे इतनी ज्यादा बधाइयां मिलीं। 

वो बुजुर्ग नेता जी मोबाइल पर सबकी पोस्ट पढ़ने लगे। अब नेताजी पढ़ें और मुस्कुराएं तो बगल में बैठे बालसखा ने कहा कि आज बड़े खुश हो रहे हो ? लाटरी लग गई क्या ? 

नेताजी ने बालसखा से कहा कि तुम जानते हो कि हमने कितनी मक्कारी की है। यह भी जानते हो कि अपनी राजनीति साधने के लिए कितनी कूटनीति की है। याद है क्या ? जब एक युवा बढ़िया नेता बनता नजर आ रहा था , तब हमने कैसे अपने जैसों को इकट्ठा कर उस नेता को मंच ना देने की सहमति बनाई थी और उसकी प्रतिभा को यमराज की तरह मार दिए थे , तब जाकर कहीं हमने नेतागिरी की राहतरूह सांस ली थी ! 

तो इसलिए हंस रहा हूँ बालसखा कि देखो ; इन नवसिखया बाल युवा बुद्धिहीन नेताओं को कि जिसने एक जनपद में टिकाऊ दलाली कम राजनीति को साधने के लिए सारा दमखम लगा दिया और युवाओं को कभी आगे नहीं बढ़ने दिया , उसे ही संगठन का शिल्पकार लिख रहे हैं ! 

जो राक्षस है उसे देवता बना रहे हैं , जो अयोग्य है उसे योग्य बना रहे हैं। जन्मदिन वाले नेताजी की हकीकत सिर्फ इतनी सी है कि कच्चे-पक्के समर्थकों द्वारा प्रशंसा के पुष्प पाने ही हैं और कुछ बिन पेंदी के लोटा अपना हित साधने के लिए किसी की भी प्रशंसा करते रहते हैं। जो हकीकत नेताजी के जन्मदिन की है , वो हकीकत देश में नेतृत्व की है।

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