भारत के पास इस वक्त कोविड का बहुत बड़ा बायो-मेडिकल कचरा है


सौरभ द्विवेदी

अब जबकि भारत एक दिन में सबसे अधिक दर्ज COVID-19 मामलों की सूची में शीर्ष पर है तो हमें पता होना चाहिए कि अस्पतालों, नर्सिंग होम, स्वास्थ्य केंद्रों और सेल्फ क्वैरेन्टाइन घरों से निकल रहे बायो-मेडिकल कचरे को क्या सही से नष्ट किया जा रहा है क्यूंकि इतिहास बताता है कि महामारी के बाद का कचरा अधिकतर बड़ी संख्या में मौतें ले कर आता है। 

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH & FW) ने मास्क के डिस्पोजल का एक तरीका निर्धारित किया था और कहा कि इस्तेमाल किए गए मास्क को साधारण ब्लीच (5%) या सोडियम हाइपोक्लोराइट घोल (1%) का उपयोग करके पहले वायरस से दूर कर लेना चाहिए फिर या तो जला दिया जाना चाहिए या मिट्टी में काफी नीचे दबा देना चाहिए लेकिन कितने लोग इसका पालन कर रहे हैं?

असल में ये यूज्ड मास्क, PPE किट, टेस्टिंग किट या कॉटन कूड़ा उठाने वालों के जीवन के लिए खतरा है क्योंकि वो लोग इस तरह के कचरे को लेकर प्रशिक्षित नहीं हैं। भारत, बहुत पहले से कूड़े के खराब प्रबंधन के मुद्दे से जूझ रहा है इसलिए इस मुद्दे पर लापरवाही कई जानें ले जाएगी।

* बाकी निरर्थक बहस आज सुशांत, रिया से बढ़कर जया बच्चन और रविकिशन तक पहुँच चुकी है। 


( सोशल मीडिया से )

Comments