भीम आर्मी प्रमुख ने योग्यता और अयोग्यता को लेकर कही बड़ी बात


@सौरभ द्विवेदी

आजाद समाज पार्टी व भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने टीवी इंटरव्यू के दौरान योग्य व्यक्ति और अयोग्य व्यक्ति के संदर्भ मे बड़ी बात कह दी है , जिसका सीधा संबंध शासन - प्रशासन से है। हालांकि वह राजनीतिक संदर्भ मे अधिक तुलनात्मक बात योगी आदित्यनाथ के लिए कह रहे थे। 

ऐसा लग रहा है कि चंद्रशेखर आजाद अपने कद को अधिक बढ़ाने के लिए सीधे योगी आदित्यनाथ से भिड़ना पसंद करते हैं और उत्तर प्रदेश में वह संघर्ष के जरिए बड़ी लकीर खीचने को प्रयासरत हैं। 

जब उनसे यह सवाल किया गया कि मुख्यमंत्री इस्तीफा देंगे तब आपका आंदोलन खत्म होगा ? तो उन्होंने कहा कि मेरी लड़ाई मुख्यमंत्री से नहीं अपितु जिस तरह से वह तानाशाही के जरिए शासन चला रहे हैं उसके खिलाफ लड़ाई है।

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इस बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि " जब कोई अयोग्य व्यक्ति योग्य कुर्सी पर बैठ जाता है तो उसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है " तो यही बात जाति आधारित आरक्षण के बार मे भी देश की जनता कहने लगी है। जब योग्यता - अयोग्यता की इतनी सी बात राजनीतिक रूप से चंद्रशेखर आजाद जैसे जातिवादी नेताओं को समझ आती है तब फिर प्रशासनिक सेवा में अयोग्य लोगों को लेकर खिलाफत आंदोलन क्यों नहीं होता ? 

देश का एक बड़ा वर्ग सेवा प्रत्येक विभाग में अयोग्य लोगों के चयन के खिलाफ बोल रहा है। जैसे कि चिकित्सा के क्षेत्र में कम योग्य चिकित्सक किसी का भी यमराज हो सकता है परंतु आरक्षण का लाभ लेकर वह चिकित्सक बना रहता है। इसलिए देश का बड़ा वर्ग यह कहने लगा कि गरीब परिवार के बच्चों को स्नातक और प्रतियोगी परीक्षा तक अच्छी शिक्षा मुफ्त मे दे दी जाए परंतु सेवा के क्षेत्र मे खुली प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए और योग्य व्यक्तियों का चयन होना चाहिए , जिससे सेवा मे सुधार होगा।

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देश के अंदर वैश्विक आधार पर जाति आधारित आरक्षण को लेकर जनता स्वयं विमर्श कर रही है परंतु अफसोस है कि इस देश के छोटे-छोटे दल और प्रमुख राष्ट्रीय दलों को सेवा के क्षेत्र मे सुधार के लिए इतनी सी चिंता नहीं है और राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अयोग्य व्यक्ति के बैठ जाने की बात करने लगते हैं। 

भारत देश के प्रत्येक प्रदेश में अयोग्य व्यक्ति का व्यवस्था मे भागीदार होना यहाँ का दुर्भाग्य है। समस्याओं से निजात पाने के लिए इस देश को गंभीर नेतृत्व की जरूरत है। साथ ही वर्तमान नेतृत्व से कहना है कि इंसान - इंसानियत के लिए गंभीर नेतृत्व प्रदान करिए अन्यथा राजनीतिक कोलाहल मे जिंदगी मर रही है। योग्यता - अयोग्यता को सिर्फ अपनी राजनीति का हथियार ना बनाकर सेवा के प्रत्येक क्षेत्र में विमर्श कर व्यवस्था परिवर्तन के वाहक बनिए , इसी में देश और जिंदगियों की भलाई है। गरीब के हित मे सभी साथ हैं परंतु वैश्विक आधार पर राष्ट्र हित के लिए देश को गंभीर और योग्य नेतृत्व की हरहाल मे जरूरत है।

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